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Title: | विज्ञान और तकनीक की देन : टिलटिंग ट्रेन |
Authors: | चन्द्र, विमलेश |
Issue Date: | Dec-2010 |
Publisher: | निस्केयर- सी एस आई आर, भारत |
Abstract: | विश्व में अनेक प्रकार की रेलगाड़ियां या ट्रेनें विभिन्न तकनीकों के आधार पर चलती हैं जैसे कि ईंधन के आधार पर भाप, डीजल, बिजली तथा गैस पर चलने वाली रेलगाड़ियां, चुम्बक के आधार पर मैगलेव ट्रेन, पर्वतों पर चलने वाली विभिन्न तकनीकों वाली पर्वतीय ट्रेन, डीजल तथा बिजली से चलने वाली हाइब्रिड इंजन ट्रेन, समुद्रों में चलने वाली समुद्री ट्रेन, महानगरों में तेज गति से चलने वाली मेट्रो ट्रेन, जमीन के अन्दर चलने वाली अण्डर ग्राउण्ड ट्रेन, आकाश या वायु में चलने वाली या लटककर चलने वाली मोनोरेल, सड़कों पर डीजल या बिजली से चलने वाली ट्रॉम ट्रेन, बिना ड्राइवर के चलने वाली ड्राइवरलेस ट्रेन, स्टील के रस्सों से चलने वाली केबिल ट्रेन या फ्यूनीकुलर ट्रेन, गैसों से चलने वाली गैस टरबाइन या बायोगैस ट्रेन, सुरंगों या ट्यूब में चलने वाली ट्यूब ट्रेन, तेजगति से चलने वाली जापान की बुलेट ट्रेन तथा इसी प्रकार अन्य तकनीकों पर विश्व की अनेक रेलगाड़ियां अपनी उच्च गति से चलती हैं। इन रेलगाड़ियों के विचित्र संसार में ऐसी अनेक रेलगाड़ियां भी हैं जो न केवल अपनी तेज गति, आरामदायक सुविधाओं, संरक्षा, यातायात के विश्वसनीय साधन के रूप में विश्व विख्यात हैं, बल्कि अपनी परिचालन तकनीक के कारण विज्ञान और इंजीनियरिंग की एक अनुपम देन के रूप में भी जानी जाती हैं। इन्हीं ट्रेनों में से एक ट्रेन है "टिलटिंग ट्रेन"। जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि यह ट्रेन टिलटिंग या झुकी हुई ट्रेन है। इस प्रकार की रेलगाड़ियां, रेलमार्ग में घुमाव या मोड़ आने पर उस स्थान पर एक तरफ झुक जाती हैं या तिरछी हो जाती हैं तथा घुमाव या मोड़ खत्म हो जाने पर सामान्य रेलगाड़ियों की तरह चलने लगती हैं। ये रेलगाड़ियां अधिकतम 10डिग्री तक झुक सकती हैं। |
Page(s): | 53-62 |
URI: | http://hdl.handle.net/123456789/12566 |
ISSN: | 0042-6075 |
Appears in Collections: | VP Vol.59(12) [December 2010] |
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